गो दुआ मेरी…Go Dua Meri…

Loved and lost …???💔

गो दुआ मेरी बे असर ना थी,
पर जिंदगी में यूँ सबर ना थी

काँटों की कभी चाह ना थी,
गुलों से सजी रहगुज़र ना थी,

मेरे चश्म जहाँ नम ना हुए,
मोहल्ले की कोई दर ना थी

तू याद ना आये इक लम्हा,
ऐसी ये दियार ए सहर ना थी

मेरे अश्क़ों में तू यूँ थम गयी,
तुझे कभी मेरी क़दर ना थी

निगाह ए चश्म ए दिल में थी,
गो तेरी नज़र को ख़बर ना थी

मेरे जिगर के यूँ टूकड़े करें,
तेज़ इतनी कोई खंज़र ना थी

दश्त दर दश्त मैं ढूंढता रहा,
कफ़न से ओढ़ी क़बर ना थी

लिहाज़ ए शरम, फ़िकर ना थी
“हया” मुझे भी अकसर ना थी

डॉ नम्रता कुलकर्णी
बेंगलुरु
२२/०४/१७

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