प्यार का पहला वो ख़त…Pyar Ka Pehla Wo Khat… On March 30, 2017 By Dr Namrata KulkarniIn Gazal urdu and hindi, hindi kavita, Kavita, nazm, Poem, urdu gazal Share this:TweetWhatsAppEmailRedditShare on TumblrPocketTelegramMorePrintLike Loading... Related
हा ये सही है, महोब्बत ही इबादत है, एक सुन्दर गाने की पंक्ति याद आ रही है, जबसे तुजसे मोहब्बत मैं करने लगा, तब से जैसे इबादत मैं करने लगा, मैं काफिर तो नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, मुझको बंदगी आ गयी,,,,,,,,,,,,,,, अच्छी रचना के लिये शुक्रिया, नम्रता जी। LikeLike March 31, 2017 at 6:15 pm Reply
हा ये सही है,
महोब्बत ही इबादत है,
एक सुन्दर गाने की पंक्ति याद आ रही है,
जबसे तुजसे मोहब्बत मैं करने लगा,
तब से जैसे इबादत मैं करने लगा,
मैं काफिर तो नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मुझको बंदगी आ गयी,,,,,,,,,,,,,,,
अच्छी रचना के लिये शुक्रिया,
नम्रता जी।
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Shukriya Hitesh ji🙏
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How Romantic…..
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Thnx Ritu😊
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