4 thoughts on “प्यार का पहला वो ख़त…Pyar Ka Pehla Wo Khat…

  1. Dr.Hitesh Adatiya

    हा ये सही है,
    महोब्बत ही इबादत है,
    एक सुन्दर गाने की पंक्ति याद आ रही है,

    जबसे तुजसे मोहब्बत मैं करने लगा,
    तब से जैसे इबादत मैं करने लगा,
    मैं काफिर तो नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
    मुझको बंदगी आ गयी,,,,,,,,,,,,,,,

    अच्छी रचना के लिये शुक्रिया,
    नम्रता जी।

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