पच्चासी- young at heart💋❤️💃
गुजर रहे उम्र के दिन, महीने और साल,😔
मेहँदी लगाकर ढक रही हूँ ये सुनहरे बाल👵
कोई कहे काकी, मौसी,नानी या दादी,😲
सुनकर ये बड़े ख़िताब होता है जी बेहाल😒
क्यों नही दिखता ये दिल अभी भी है जवान,😍
बचपन में मारते थे ताने”अरे जा रही देखो माल”💃
मयकशी चढ़ती, शराब जितनी हो पुरानी,🍷
वाइजों को है तजूर्बा, फिर पूछते क्यों सवाल ?🤔
हाय !!!अंगूर थी, कमसिन कली नादान,🤗
बनी किशमिश मीठी, कह दूँ दिल का हाल😋
निकल पड़ी जब घर से सज धज करे होंठ लाल,👸
पड़ोसी सोचे शायद काली है इसकी दाल!!!🤷
जाऊँ गर कभी खेलने, भागने, दौड़ने,💃
कहते लोग इस बूढ़ीया की क्या है मजाल ?😠
उम्र के इस दौर में किये बदलाव दो चार,🤷
चलती हूँ अब थोड़ी धीरे, बदल गयी है चाल🤰
बदलती इस दुनिया के देखे है रंग हज़ार,😦
हो गयी हूँ अब सयानी, अब न फसूँ किसी के जाल😤
संभल कर रहना भाइयों अब इस नारी से,😎
किसी ने की छेड़खानी तो मच जायेगा भूचाल😠
कोई कुछ भी कहे, अब जी रही हूँ खुद के लिए,
चाहे बूढ़ी कहो या जवान, है तो हम बेमिसाल👼
डॉ नम्रता कुलकर्णी
बेंगलुरु
८/३/१८