ऐ ग़ालिब…Aye Ghalib…

My tribute to one of the great poets in urdu on his birth anniversary…🍃🍂🌾🍁☘ ऐ ग़ालिब, तेरे कद ए सुख़न के तो नही बराबर,
गो ज़ुर्रत करती लिखने की, हूँ इक नाचीज़ शायर

तू गया अफ़साने जिंदगानी के ऐसे लिख कर,
मैं तो बन ना पाऊँ याँ तेरे जैसी शायर सुख़नवर

एक दिन मुक्कमल हो जायेगा मेरा ये सफ़र,
जब कहेंगे लोग मुझे, है ये ग़ालिबन शायर जफ़र

‘हया’ से लिखूँ इश्क़ के फसाने तेरे ज़मीन पर,
कोशिश करती हूँ कुछ तेरे अ’शआरों को समझकर

डॉ नम्रता ‘हया’ कुलकर्णी
बेंगलुरू १२/०५/१७

Leave a comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.